ना जाने कब कवनो

ना जाने कब कवनो तारा टूट जाय
ना जाने कब आँख के आँसू छूट जाय.
कुछ घरी हमरा संगे हँस लऽ दोस्त.
का जाने कब तोहार सामने के दाँत टूट जाय

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